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Hindi News AstrologyPradosh Vrat Kathaकल सावन आखिरी प्रदोष व्रत पर शुभ संयोग, पढ़ें व्रत की कथा
सावन प्रदोष और सावन सोमवार कल एक साथ पड़ने के कारण इस दिन की विशेषता बढ़ जाती है। वहीं, प्रदोष का व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा पाने के साथ जीवन की कई उलझनों को दूर किया जा सकता है।
Shrishti Chaubeyलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीMon, 28 Aug 2023 12:43 AMऐप पर पढ़ें
Pradosh Vrat Katha: भगवान शिव की असीम कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। वहीं, कल सावन (Sawan 2023) के आखिरी सोमवार के दिन सावन इस साल का आखिरी सावन प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है, जो बेहद ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सावन प्रदोष और सावन सोमवार एक साथ पड़ने के कारण इस दिन की विशेषता बढ़ जाती है। वहीं, प्रदोष का व्रत (Pradosh Vrat) रखने से भोलेनाथ की कृपा पाने के साथ जीवन की कई उलझनों को दूर किया जा सकता है। कल के दिन व्रत रखने से प्रदोष व्रत और सोमवार व्रत दोनों का फल प्राप्त होगा। आगे पढें प्रदोष व्रत की कथा-
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प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat Katha)-
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था। इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आयी। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।
एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया। ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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