द्वारका मंदिर में जन्माष्टमी:श्रीकृष्ण की नगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब, रात 2.30 बजे तक हो सकेंगे भगवान के दर्शनद्वारकाएक घंटा पहले
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द्वारका में आज श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। मंदिर में तड़के सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। आलम ये है कि पुलिस-प्रशासन के सारे इंतजाम धरे रह गए हैं और सड़कें भी जाम हो गईं हैं।
सुबह 6 बजे मंगला आरती हुई। इसके बाद सुबह 8 बजे तक भगवान ने भक्तों को दर्शन दिए। सुबह 8 बजे भगवान ने स्नान किए। इसके बाद 10 बजे उन्हें स्नान भोग लगाया गया।
सुबह भगवान द्वारकाधीश को केसरिया वस्त्र पहनाए गए थे।
जन्माष्टमी का कार्यक्रम
उत्सव कार्यक्रम श्रीद्वारकाधीश मंदिर के प्रशासक द्वारा जन्माष्टमी उत्सव के कार्यक्रम की घोषणा की गई है, जिसमें 30 अगस्त को श्रीजी के दर्शन का समय सुबह 6 बजे मंगला आरती, सुबह 6 बजे से 8 बजे तक मंगला दर्शन, सुबह 8 बजे श्रीजी के खुले पर्दे पर स्नान और अभिषेक, 9 बजे अभिषेक के बाद पूजन (पट/दर्शन) के दौरान मंदिर के पट एक घंटे के लिए बंद रहे।
इसके बाद 10:30 बजे भगवान का श्रृंगार कर उन्हें प्रसाद का भोग लगाया गया। 11 बजे श्रृंगार आरती, 11-15 बजे ग्वाल भोज दिया गया। दोपहर 12 बजे राजभोग अर्पित किया गया। भगवान के आराम के लिए दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक मंदिर के पट बंद रहे।
शाम 5 बजे उत्थापन दर्शन के बाद भगवान द्वारकाधीश को उत्थापन भोग लगाया गया।
जन्माष्टमी के मौके पर आज रात 2.30 तक खुले रहेंगे मंदिर के द्वार।
कुछ ऐसा रहेगा आगे का कार्यक्रम
उत्थापन दर्शन | 5 बजे |
उत्थापन भोग | 5:30 से 5:45 बजे तक |
संध्या भोग | 7:30 से 7:45 बजे तक |
संध्या आरती | 7:45 बजे |
शयन भोग | 8 से 8:10 बजे तक |
शयन आरती | 8:30 बजे |
शायन अनोसर (मंदिर बंद) | रात 9 बजे |
जनमाष्टमी महोत्सव के आरती दर्शन | रात 12 बजे |
अनोसर (मंदिर बंद) | रात 2:30 बजे |
कई रत्नों से सुसज्जित है पोशाक
यात्राधाम द्वारका में आज भगवान द्वारकाधीश को अर्पित की जाने वाली पोशाक बाघा से लेकर राजाधिराज तक कई रत्नों से सुसज्जित हैं। कढ़ाई का काम सोने-चांदी के धागे से पूरा किया गया है। कढ़ाई का काम वृन्दावन, कलकत्ता, सूरत, राजकोट के कारीगरों ने किया है।
भगवान द्वारकाधीश के लिए तैयार की गई विशेष पोशाक।
द्वारकाधीश के दर्शन के लिए
द्वारका के प्रवेश द्वार कीर्तिस्तंभ से लेकर जगत मंदिर तक बैरिकेडिंग की गई है, जिससे कि लोग लाइन में खड़े होकर आराम से भगवान के दर्शन कर सकें। बारी कीटिंग के रास्ते कीर्तिस्तंभ तक पहुंचने के लिए छप्पन सीढ़ियों का रास्ता इस तरह तैयार किया गया है कि श्रद्धालु स्वर्ग द्वार से जगत मंदिर परिसर तक के सभी मंदिरों के दर्शन करते हुए मोक्ष द्वार से बाहर निकल सकें। बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए दर्शन की अलग व्यवस्था की गई है।
कीर्तिस्तंभ तक पहुंचने के लिए बनाई गई बैरिकेंडिग।खबरें और भी हैं…
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