भास्कर एक्सक्लूसिवप्रियंका गांधी होंगी MP में कांग्रेस की लीड कैंपेनर:40 से ज्यादा रैली- सभाएं करेंगी, राहुल छत्तीसगढ़-राजस्थान संभालेंगेभोपालएक घंटा पहलेलेखक: योगेश पाण्डे
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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी कांग्रेस के इलेक्शन कैंपेन की कमान संभालेंगी। मध्यप्रदेश में वह लगभग 40 जनसभाएं और रैलियां करेंगी। एक दिन में उनकी 2 से 3 रैलियां रहेंगी। चुनाव की घोषणा होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका कमोबेश हर दूसरे दिन यहां रहेंगी।
प्रियंका के साथ कई बार राहुल गांधी भी यहां आएंगे, लेकिन मध्यप्रदेश में कैंपेन की रणनीति को अंतिम रूप प्रियंका ही देंगी। वह मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के कैंपेन का भी जिम्मा संभालेंगी। रणनीति के तहत राहुल राजस्थान और तेलंगाना का कैंपेन लीड करेंगे। प्रियंका भी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से ब्रेक लेकर कुछ सभाएं राजस्थान व तेलंगाना में करेंगी।
कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकारों ने इसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। प्रियंका के ऑफिस ने भी इस बात की पुष्टि की है कि चुनाव की घोषणा होते ही प्रियंका गांधी के एमपी में दौरे शुरू हो जाएंगे। हमने कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेताओं से सवाल किया कि क्या प्रियंका एमपी में कैंप करेंगी? तो जवाब मिला कि ऐसा नहीं होगा। प्रियंका औसतन हर दूसरे- तीसरे दिन मध्यप्रदेश में होंगी।
कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित कहते हैं कि प्रियंका गांधी जिस सरलता से विषय को उठाती हैं, उसका अन्य राज्यों में भी असर हो रहा है।
भाजपा माने या न माने, प्रियंका जी उनके लिए एक चुनौती बन रही हैं। प्रियंका एक तरह से भाजपा को भी नीतियों की दिशा दिखा रही हैं। प्रियंका गांधी ने महिलाओं के मुद्दे पर जिस मुखरता के साथ काम किया है, उसके चलते वह महिलाओं के बीच लोकप्रिय हैं।
एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं कि प्रियंका गांधी मध्यप्रदेश में सिर्फ कैंपेनर ही नहीं होंगी। वह इससे ज्यादा बड़ी भूमिका में मध्यप्रदेश में होंगी। महिलाओं और युवतियों के बीच उनका जो आकर्षण है, उससे साफ है कि लोग उन पर भरोसा करते हैं।
गांधी परिवार को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं कि किसी राज्य में राहुल ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं और किसी राज्य में प्रियंका गांधी। हिमाचल और कर्नाटक में प्रियंका बहुत ज्यादा सक्रिय थीं। मध्यप्रदेश में शुरू से ही कांग्रेस के कर्ताधर्ता कमलनाथ और प्रियंका की सभाएं करवा रहे हैं। प्रियंका ने अपना फोकस मध्यप्रदेश में बनाए रखा है।
किदवई आगे कहते हैं कि राहुल गांधी भी एमपी आए हैं, लेकिन वो यहां कैंपेन को लीड नहीं कर रहे हैं। उनका ज्यादा ध्यान छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर है। छत्तीसगढ़ में वे जा भी चुके हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को वे अपना साथी मानते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद को तेलंगाना में व्यस्त रख रहे हैं। जहां तक मेरी जानकारी है राजस्थान में कमान गहलोत ही संभाले हुए हैं। कांग्रेस वहां जीत को लेकर भी बहुत आश्वस्त नहीं है।
एक दिन में 2 रैलियां करेंगी प्रियंका
प्रियंका गांधी के दौरों काे ऐसे प्लान किया जा रहा है कि वह मध्यप्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएं। ये भी तय हो गया है कि प्रियंका एक दिन में 2 और कभी-कभी 3 रैलियां करेंगी। चुनाव की घोषणा होने तक अभी प्रियंका दिल्ली से ही एमपी पर नजर रखेंगी। इसके बाद ही प्रियंका के लगातार दौरे शुरू होंगे। प्लान के मुताबिक कांग्रेस ने एक ग्राउंड सर्वे भी कराया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी यही रिपोर्ट दी है कि प्रियंका के आने से कांग्रेस के पक्ष में हवा बनाने में मदद मिलेगी।
2018 में राहुल ने जबलपुर से किया था शंखनाद, इस बार 12 जून को प्रियंका पहुंचीं
जबलपुर में जनसभा को संबोधित करने से पहले प्रियंका गांधी ने नर्मदा पूजन किया।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने जबलपुर से ही चुनावी शंखनाद किया था। राहुल गांधी ने नर्मदा पूजन के बाद यहां से चुनावी अभियान की शुरुआत की थी। इसी साल 12 जून को प्रियंका गांधी ने भी नर्मदा पूजन के बाद ही यहां रैली को संबोधित किया था।
इसके बाद 21 जुलाई को प्रियंका गांधी ने ग्वालियर में जनआक्रोश रैली को संबोधित किया। इस तरह से 2 रैलियों में प्रियंका ने महाकौशल और ग्वालियर-चंबल के अलग अलग छोर में आमद दी है। आगे भी प्रियंका की रैलियां प्लान करते हुए रणनीतिकार इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे कि मध्यप्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में प्रियंका गांधी की सभाएं हो सके।
यूपी चुनाव के दौरान लड़की हूं लड़ सकती हूं का स्लोगन प्रियंका ने दिया था।
महिला राजनीति का नया वर्जन लेकर आईं प्रियंका
इलेक्शन कंसल्टेंट शुभ तिवारी कहते हैं कि कर्नाटक के चिकमंगलूर में प्रियंका ने जिस से तरह से प्रधानमंत्री मोदी पर पलटवार किया था, वो टर्निंग पाॅइंट था। प्रियंका ने कहा था कि प्रधानमंत्री जी कर्नाटक आकर आपका दुख सुनने की बजाय अपना दुखड़ा सुनाते हैं। प्रधानमंत्री के पास प्रदेश के किसानों, महिलाओं और युवाओं की समस्या की लिस्ट नहीं है, लेकिन इस बात की लिस्ट जरूर है कि किस-किसने उनको गालियां दीं।
तिवारी कहते हैं कि प्रियंका का ये भाषण बहुत असरदार था। ये इसलिए भी असरदार था, क्योंकि चिकमंगलूर ही वो जगह है जहां से इंदिरा गांधी ने 1978 में चुनाव जीती थीं। इमरजेंसी के बाद इंदिरा के खिलाफ पूरे देश में लहर थी, इसके बावजूद वह यहां से जीती थीं। तब ये स्लोगन बना था कि एक शेरनी, सौ लंगूर.. चिकमंगलूर.. चिकमंगलूर। कर्नाटक की उसी चिकमंगलूर से प्रियंका ने प्रभावशाली भाषण देकर चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर दिया था।
अब समझते हैं प्रियंका के कर्नाटक और हिमाचल के दौरों को…
कर्नाटक में परिवार की हर महिला को 2 हजार रुपए महीने की गारंटी
कांग्रेस के चुनावी कंसल्टेंट्स बताते हैं कि प्रियंका गांधी ने कर्नाटक में 35 सभाएं- रैलियां व बैठकें की थीं। चुनाव की घोषणा से पहले प्रियंका ने कर्नाटक में 10 रैलियां की थीं, बाकी 35 रैलियां चुनाव की घोषणा के बाद कीं।
इसमें 12 स्थानों पर प्रियंका ने रोड-शो भी किए थे। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के साथ लगातार बैठकें की थीं। प्रियंका ने कर्नाटक में भी सरकार बनने पर 5 गारंटी का वादा किया था। इसमें सबसे अहम गारंटी थी हर परिवार की एक महिला को 2 हजार रुपए महीना देने की घोषणा। साथ ही मुफ्त बिजली और महिलाओं को सरकारी बसों में फ्री सफर के वादे भी महिलाओं पर ही फोकस थे।
हिमाचल में हर महीने महिलाओं को 1500 रुपए का वादा
ऐसे ही हिमाचल प्रदेश में भी प्रियंका ने 15 सभाएं की। यहां की वह प्रभारी महासचिव भी थीं। यहां भी हर घर लक्ष्मी योजना के फॉर्म भरवाए गए। इसके तहत महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने की गारंटी दी गई। यहां भी प्रियंका की गारंटियों में महिलाओं पर ही सबसे ज्यादा फोकस था।
हिमाचल में कांग्रेस की 10 गारंटी
- पुरानी पेंशन स्कीम होगी बहाल
- महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए
- 300 यूनिट बिजली फ्री
- युवाओं को 5 लाख रोजगार
- फलों की कीमत बागवान तय करेंगे
- युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपए का स्टार्टअप फंड
- हर गांव में मोबाइल क्लीनिक से मुफ्त इलाज
- हर विधानसभा में 4 अंग्रेजी मीडियम स्कूल
- गाय-भैंस पालकों से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदेंगे
- सरकार पशुपालकों से 2 रुपए किलो में गोबर खरीदेगी
21 जुलाई को ग्वालियर की जन आक्रोश रैली में प्रियंका गांधी और कमलनाथ।
लड़की हूं, लड़ सकती हूं, कैंपेन से महिलाओं पर फोकस हुए वादे
कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भले ही विधानसभा चुनाव में सीटें हासिल नहीं कर सकीं, लेकिन प्रियंका गांधी के लड़की हूं, लड़ सकती हूं, कैंपेन ने राजनीति में महिलाओं को केंद्र में ला दिया। यहां प्रियंका ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा करके दूसरी पार्टियों को सीधी चुनौती दी। यूपी में पार्टी का संगठन उतना मजबूत नहीं था, इसलिए ये कांग्रेस के लिए सीधे तौर पर फायदेमंद नहीं रहा, लेकिन लड़की हूं, लड़ सकती हूं स्लोगन ने दूसरे राज्यों की सरकारों को महिला केंद्रित योजनाओं पर फोकस करने के लिए बाध्य कर दिया।
प्रियंका ने यही प्रयोग दूसरे फॉर्मेट में दूसरे राज्यों में भी किया। प्रियंका के वादों में महिला हमेशा केंद्र में रही, लेकिन मध्यप्रदेश में सरकार ने ये रणनीति पहले ही भांप ली। शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना स्कीम के तहत 21 साल से 58 साल तक महिलाओं को पहले 1 हजार और अब 1250 रुपए महीने देना शुरू कर दिया है। भाजपा ने 1 हजार रुपए महीने की स्कीम लाई तो कांग्रेस ने भी यहां महिलाओं को 1500 रुपए महीने देने का वादा कर दिया, लेकिन शिवराज ने इससे दो कदम आगे 1 हजार को 3 हजार तक पहुंचाने की घोषणा कर दी। इस महीने से 1 हजार को बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया है।
उन्नाव रेप पीड़िता से मिला लड़की हूं, लड़ सकती हूं स्लोगन
आखिर ये स्लोगन कहां से आया? इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा था कि 2019 में जब मैं यूपी के उन्नाव की रेप पीड़िता के घर गई थी, वहां से इस स्लोगन की सोच आई। हम महिलाओं में सहने की शक्ति है, लेकिन महिलाओं के अपनी शक्ति पहचाननी होगी। महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ना होगा। उन्नाव की पीड़िता का केस वहां पर दर्ज नहीं हुआ। उसका केस रायबरेली में दर्ज हुआ। वह खुद ट्रेन लेकर रायबरेली जाती थी। उसकी मदद कर रही थी उसकी भाभी। अन्याय के खिलाफ सारी लड़ाइयां महिलाएं लड़ रही हैं। अत्याचार के खिलाफ लड़ रही पीड़िताओं से प्रेरणा लेकर ही ये नारा निकला है कि 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'।
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