भारत-चीन सीमा पर तैनात होंगी ITBP की 4 बटालियन:जवानों को 47 नई चौकियों पर भेजा जाएगा; इनमें से 34 अरुणाचल प्रदेश मेंनई दिल्लीएक घंटा पहले
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मोदी कैबिनेट ने फरवरी 2023 में चाइना बॉर्डर पर 9000 ITBP सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी थी।
नॉर्थ-ईस्ट में भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 4 नई बटालियन को नॉर्थ-ईस्ट में तैनात किया जाएगा। इन्हें 47 नई चौकियों पर भेजा जाएगा। सबसे ज्यादा अरुणाचल प्रदेश की 34 पोस्ट पर इनकी तैनाती होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी में 7 नई बटालियन और बॉर्डर बेस बनाने की मंजूरी दी थी, जिससे ITBP फोर्स में 9400 कर्मियों की बढ़ोतरी हुई है। इन 7 में से 4 तैनाती के लिए तैयार हैं। बाकी 3 बटालियन को 2025 तक तैयार कर लिया जाएगा।
यह फैसला तब आया है, जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर दौलत बेग ओल्डी (DBO) और चुशूल एरिया में मेजर जनरल लेवल पर चर्चा हुई है। ये इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 9 से 10 सितंबर तक G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत आने वाले हैं।
स्टेजिंग कैंप क्या होते हैं
स्टेजिंग कैंप हिमालय के बॉर्डर पर लंबी दूरी की गश्त के दौरान ITBP को राशन, रसद और रहने की जगह मुहैया कराएंगे। स्टेजिंग कैंप टेम्परेरी BOP के रूप में काम करते हैं। साथ ही मुश्किल वक्त में बॉर्डर पर पोस्ट की दूरियों को कम करते हैं। नए सैनिकों को देश की उत्तरी सीमा पर 47 नए बॉर्डर आउट पोस्ट्स (BOP) और एक दर्जन स्टेजिंग कैंपों पर तैनात किया जाएगा।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 34 पोस्ट अरुणाचल प्रदेश में हैं, जहां इलाका बेहद मुश्किलों भरा है। बाकी पोस्ट वेस्टर्न एरिया में बनाए जाएंगे। फिलहाल यहां 180 BOP हैं। हर चौकी पर लगभग 140 सैनिकों की तैनाती है और हर 3 महीने में सेना का रोटेशन होता है।
सेना के साथ मिलकर LAC की सुरक्षा संभालती है ITBP
ITBP, भारतीय सेना मिलकर चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती हैं। यह लाइन लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगती है। लद्दाख में भारत के इंटरनेशनल बॉर्डर की लंबाई 1,597 किमी, हिमाचल प्रदेश में 200 किमी, उत्तराखंड में 345 किमी, सिक्किम में 220 किमी और अरुणाचल प्रदेश में 1126 किमी है।
2021 में ITBP ने चंडीगढ़ और गुवाहाटी में 2 कमांड हेडक्वार्टर्स का संचालन शुरू किया है। चंडीगढ़ की वेस्टर्न कमांड लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन बॉर्डर की सुरक्षा देख रही है। वहीं ईस्टर्न कमांड उत्तरी सीमा और उत्तर-पूर्वी बॉर्डर का कंट्रोल देख रही है।
गलवान झड़प के बाद बढ़ा तनाव
तस्वीर 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई गलवान झड़प की है। तब से दोनों देशों के बीच तनाव जारी है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में करीब 3 साल पहले 2020 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन इसे लगातार छिपाता रहा।
गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों ने अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। साथ ही, इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था।
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मेजर जनरल लेवल पर चुशुल-देपसांग में विवाद सुलझाने चर्चा की
तस्वीर 2021 की है, जब भारत-चीन की मिलिट्री के बीच 13वें दौर की बातचीत हुई थी। (फाइल- फोटो)
भारत और चीन के बीच दौलत बेग ओल्डी और चुशुल में LAC पर मेजर जनरल लेवल की बैठक हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद पर डिटेल में चर्चा की गई। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक मेजर जनरल पीके मिश्रा और मेजर जनरल हरिहरन ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। पढ़ें पूरी खबर…
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