मणिपुर में FIR, एडिटर्स गिल्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा:दो दिन पहले CM बीरेन सिंह ने केस दर्ज करवाया था; राज्य में हिंसा को बढ़ावा देने का आरोपनई दिल्ली14 मिनट पहले
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ये तस्वीर मणिपुर में पिछले चार महीने से जारी हिंसा की एक घटना की है।
मणिपुर में अपने मेंबर्स पर दर्ज 2 FIR के खिलाफ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, EGI ने कोर्ट से दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की है।
दरअसल, 4 सितंबर को मणिपुर के CM एन बीरेन सिंह ने बताया कि हमने EGI की प्रेसिडेंट सीमा मुस्तफा, सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर पर FIR कराई है। EGI अपनी रिपोर्ट्स के जरिए झूठ फैला रहा है और गलत तथ्य पेश कर रहा है। इससे राज्य में हिंसा और तनाव बढ़ सकता है।
CM एन बीरेन सिंह ने कहा कि EGI के इन सदस्यों को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले राज्य के सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करनी चाहिए थी, न कि गिनती के लोगों से मिलकर किसी नतीजे पर पहुंचना था।
मणिपुर के CM बीरेन सिंह ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ FIR की जानकारी दी।
एडिटर्स गिल्ड ने हिंसा रोकने में पक्षपात का आरोप लगाया
दरअसल कुछ समय पहले EGI के कुछ सदस्यों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा किया था। इस फैक्ट फाइंडिंग टीम ने वहां हिंसा से पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी। इसके बाद एडिटर्स गिल्ड ने 2 सितंबर को अपनी रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया था कि मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा की एकतरफा मीडिया रिपोर्टिंग की गई। साथ ही उसने राज्य सरकार और खुद CM बीरेन सिंह पर हिंसा रोकने में पक्षपात करने का आरोप लगाया।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 2 सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट का नाम, फैक्ट- फाइंडिंग मिशन ऑन मीडिया रिपोर्ताज ऑफ द एथनिक वॉयलेंस इन मणिपुर था।
वन विभाग के ऑफिस में लगी आग को कुकी समुदाय का बताया
मणिपुर सरकार के अलावा इंफाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी इन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। दरअसल, एडिटर्स गिल्ड ने अपनी रिपोर्ट में एक फोटो में गलती कर दी। गिल्ड ने चुराचांदपुर जिले में एक जलती हुई इमारत की तस्वीर छापी और दावा किया कि यह कुकी समुदाय का घर है, जबकि यह बिल्डिंग वन विभाग ऑफिस की थी, जिसे 3 मई को एक भीड़ ने आग लगा दी थी।
इसके अलावा EGI ने रिपोर्ट में यह भी लिखा कि म्यांमार में तख्तापलट के बाद 4 हजार लोग भागकर मणिपुर में आए। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी कुकी जनजातियों को अवैध अप्रवासी बता दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की नीतियों की वजह से कुकी समुदाय में असंतोष फैल गया।
यह तस्वीर जलते हुए वन विभाग के ऑफिस की है। जिसे गिल्ड ने कुकी का घर बताया था।
एडिटर्स गिल्ड ने गलत कैप्शन लिखने पर माफी मांगी थी
गलत फोटो का मामला सामने आने के बाद एडिटर्स गिल्ड ने रविवार को एक्स (ट्विटर) पर अपनी गलती को स्वीकार किया। गिल्ड ने आगे लिखा- हमें फोटो कैप्शन में हुई गलती के लिए खेद है। इसमें सुधार किया जा रहा है। नई मणिपुर रिपोर्ट अपलोड कर दी गई है।
3 मई से जारी हिंसा में 160 से ज्यादा मौतें
राज्य में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र ने बताया था कि मणिपुर में 6 हजार 523 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से 11 केस महिलाओं और बच्चों की हिंसा से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त को कहा था कि मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की जांच 42 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीमें (SIT) करेंगी।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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केंद्र सरकार ने मणिपुर को लेकर यूनाइटेड नेशन्स (UN) के एक्सपर्ट्स के बयानों को खारिज किया है। भारत ने कहा कि मणिपुर में पूरी तरह से शांति है। UN एक्सपर्ट्स के बयान पूरी तरह से गलत और भड़काऊ हैं। दरअसल, UN एक्सपर्ट्स ने मणिपुर को लेकर चिंता जाहिर की थी।
उन्होंने कहा था पूर्वोत्तर राज्य में हुए सेक्सुअल वॉयलेंस, घरों का तोड़ना, टॉर्चर, मानव अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले में स्पेशल प्रोसिजर मैंडेट होल्डर्स (SPMH) ने एक न्यूज रिलीज की थी। इसका नाम, ‘इंडिया: UN एक्सपर्ट्स अलार्म्ड बाय कन्टिन्यूइंग एब्यूजेज इन मणिपुर’ था। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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