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Hindi News AstrologyShree Krishna Janmashtami 2023 kab hai date puja vidhi shubh muhrat importance significanceJanmashtami : आज और कल दोनों दिन मनेगाी जन्माष्टमी, नोट कर लें पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत पारण टाइम
Janmashtami : छह सितंबर को प्रात: 9 बजकर 20 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा। चंद्रमा वृष राशि में विराजमान होंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस वर्ष सभी तत्वों का दुर्लभ योग मिल रहा है
Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 06 Sep 2023 03:12 PMऐप पर पढ़ें
मथुरा और गोकुल की तरह जिले में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बुधवार और गुरुवार दोनों दिन मनाई जाएगी। अधिकांश गृहस्थ लोग बुधवार को ही विशेष जयन्ती योग मानते हुए व्रत रखकर जन्माष्टमी मना रहे हैं, वहीं मंदिरों में झांकियां आदि सजाकर गुरुवार को त्योहार मनाया जाएगा। छह सितंबर को प्रात: 9 बजकर 20 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा। चंद्रमा वृष राशि में विराजमान होंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस वर्ष सभी तत्वों का दुर्लभ योग मिल रहा है अर्थात 6 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अद्र्धरात्रिव्यापिनी, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषस्थ चंद्रमा का दुर्लभ एंव पुण्यदायक योग बन रहा है। छह सितंबर को 12 वर्षों बाद दुर्लभ शुभ फल देने वाला जयन्ती योग बन रहा है। जन्माष्टमी छह को मनाना ही अधिक शुभ रहेगा।
मुहूर्त-
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भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ – 03:37 पी एम, सितम्बर 06
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भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी समाप्त – 04:14 पी एम, सितम्बर 07
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – सितम्बर 06, 2023 को 09:20 ए एम बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त – सितम्बर 07, 2023 को 10:25 ए एम बजे
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निशिता पूजा का समय – 11:57 पी एम से 12:42 ए एम, सितम्बर 07
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अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय
- पारण समय – 04:14 पी एम, सितम्बर 07 के बाद
- पारण के दिन अष्टमी तिथि का समाप्ति समय – 04:14 पी एम
- पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय – 10:25 ए एम
धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय
- पारण समय – 06:02 ए एम, सितम्बर 07 के बाद
- देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।
वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय
- पारण समय – 12:42 ए एम, सितम्बर 07 के बाद
भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।
पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
- लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।
- इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं।
- लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।
- अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।
- इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
- रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।
- लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।
- लड्डू गोपाल की आरती करें।
- इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।
- इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।
महत्व
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है।
- इस दिन विधि- विधान भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- इस दिन पूजा- अर्चना करने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।
रात्रि में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म
- भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है।
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